ADMISSION IS GOING ON : For Class 1 to Postgraduate CLICK HERE

Kayar Mat Ban -Class 10-Aalok Bhag 2 ( कायरमत बन - नरेंद्र शर्मा-Class 10-seba)

Admin
0

Kayar Mat Ban -Class 10-Aalok Bhag 2 ( कायरमत बन  -   नरेंद्र शर्मा-Class 10-seba)  

KAYAR MAT BAN -CLASS X
KAYAR  MAT  BAN

                                     

                                                                     नरेंद्र शर्मा
                                                                   (1913-1989)

कवि नरेंद्र शर्मा आधुनिक हिंदी काव्यधारा के अंतर्गत छायावाद एवं छायावादोत्तर युगों में होने वाले व्यक्तिवादी गीति-कविता के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध हैं। व्यक्तिगत प्रणयानुभूति, विरह-मिलन के चित्र, सुख-दुःख के भाव, प्रकृति-सौंदर्य, आध्यात्मिकता, रहस्यानुभूति, राष्ट्रीय भावना और सामाजिक विषमता के चित्रण के साथ उनके गीतों एवं कविताओं में विषयगत विविधता सहज ही देखी जा सकती है। मूलतः भावुक और कल्पनाशील कवि होने पर भी नरेंद्र शर्मा की कुछ कविताओं में सामाजिक यथार्थ के चित्रण के कारण प्रगतिशीलता के भी दर्शन होते हैं। 


गीतिकवि नरेंद्र शर्मा जी का जन्म सन् 1913 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिलांतर्गत जहाँगीर नामक स्थान में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा वहीं हुई। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने एम.ए. किया । तत्पश्चात् वे वाराणसी के काशी विद्यापीठ में शिक्षक नियुक्त हो गए। इसी दौरान देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण आपको नजरबंद भी होना पड़ा। फिल्म जगत से आकर्षित होकर आप मुंबई चले गए और वहाँ फिल्मों के लिए गीत लिखते रहे। बाद में आकाशवाणी के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए उन्होंने रेडियो की सेवा शुरू की। आप आकाशवाणी में विविध भारती कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए। इस पद पर रहते हुए आपने हिन्दी को खूब बढ़ावा दिया और सुरीले हिन्दी गीतों के प्रसारण के जरिए 'विविध भारती' कार्यक्रम को अत्यंत लोकप्रिय बनाया। सन् 1989 में इस यशस्वी गीति कवि का देहावसान हो गया।


पंडित नरेंद्र शर्मा की गीति-प्रतिभा के दर्शन छोटी अवस्था में ही होने लगे। उनके दो गीत-संग्रह विद्यार्थी जीवन में ही प्रकाशित हुए। जीवन ने अंतिम दिनों तक आपकी लेखनी चलती रही। आपकी काव्य-कृतियों में 'प्रभात फेरी', 'प्रवासी के गीत', 'पलाशवन', मिट्टी के फूल', 'हंसमाला', 'रक्त चंदन', 'कदली वन', 'द्रौपदी' (खण्डकाव्य), 'उत्तर जय' (खण्डकाव्य) और 'सुवर्ण' खण्डकाव्य विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। 'कड़वी-मीठी बातें' उनका कहानी-संग्रह है।


यशस्वी गीतिकवि नरेंद्र शर्मा की काव्य-भाषा सरल, प्रांजल एवं सांगीतिक लययुक्त खड़ी बोली है। आपने सहज प्रवाहमयी भाषा के जरिए कोमल और कठोर दोनों ही प्रकार के भावों को बखूबी अभिव्यक्ति दी है। माधुर्य एवं प्रसाद गुणों की बहुलता के साथ आपकी रचनाओं में कहीं-कहीं ओज गुण का भी संचार हुआ है। आत्मीयता,
चित्रात्मकता और सहज आलंकारिकता आपकी काव्य-भाषा के तीन निराले गुण हैं।


कवि नरेंद्र शर्मा की दृष्टि मूलत: मानवतावादी रही है। मानवता का जयगान उनकी साहित्य-साधना का लक्ष्य रहा है, इसलिए उनकी रचनाओं से पुरुषार्थ, साहस एवं अडिग-अविचल भाव का संदेश मिलता है। संकलित 'कायर मत बन' शीर्षक कविता शर्मा की उत्कृष्ट रचनाओं में से अन्यतम है। इस प्रसिद्ध कविता में कवि ने मनुष्य मात्र से यह आग्रह किया है कि वह और कुछ भी बने, पर कायर कभी मत बने। मनुष्य को चाहिए कि उसके मार्ग पर आनेवाली बाधाओं से वह साहस और दृढ़ता के साथ लड़े, कभी भी उनसे समझौता न करे, निराश होकर माथा न पटके, रोएगिड़गिड़ाए नहीं, कभी दु:ख के आँसू न पीए। 'युद्धं देहि' (लड़ाई करो) कहकर अगर कोई दुष्ट और नीच व्यक्ति सामने आ जाए, तो मनुष्य को चाहिए कि या तो प्यार के बल पर उसे जीत ले, नहीं तो उसकी हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से दे। किसी भी स्थिति में अहिंसा की दुहाई देते हुए पीठ फेर कर वह न भागे। कवि ने माना है कि हिंसा के बदले में की जाने वाली हिंसा मनुष्य की कमजोरी को दर्शाती है, परन्तु कायरता उससे अधिक अपवित्र है। कवि ने कहा है कि मानवता अमूल्य है, उसकी रक्षा के सामने व्यक्ति की सुरक्षा का कोई मूल नहीं है। सत्य तो यह है कि व्यक्ति के आत्म-बलिदान से मानवता अमर बनती है। युगों से संचित मानवता व्यक्ति को खून-पसीने से सींचती है। अतः मनुष्य के लिए उचित यही है कि वह कभी कायर न बने और अपना सब कुछ मानवता पर न्योछावर कर दे।


    कायरमत बन


कुछ भी बन, बस कायर मत बन!
ठोकर मार, पटक मत माथा,
तेरी राह रोकते पाहन!
कुछ भी बन, बस कायर मत बन!


ले-दे कर जीना, क्या जीना?
कब तक गम के आँसू पीना?
मानवता ने सींचा तुझको
बहा युगों तक खून-पसीना!
कुछ न करेगा? किया करेगारेमनुष्य-बस कातर क्रंदन?
कुछ भी बन, बस कायर मत बन!


'युद्धं देहि' कहे जब पामर,
दे न दुहाई पीठ फेर कर!
या तो जीत प्रीति के बल पर,
या तेरा पथ चूमे तस्कर!
प्रतिहिंसा भी दुर्बलता है,
पर कायरता अधिक अपावन!
कुछ भी बन, बस कायर मत बन!


तेरी रक्षा का न मोल है,
पर तेरा मानव अमोल है!
यह मिटता है, वह बनता है,
यही सत्य का सही तोल है!
अर्पण कर सर्वस्व मनुज को,
करन दुष्ट का आत्म-समर्पण!
कुछ भी बन, बस कायर मत बन!


  अभ्यासमाला

* बोध एवं विचार

1.'सही' या 'गलत' रूप में उत्तरदोः
(क) कवि नरेंद्र शर्मा व्यक्तिवादी गीतिकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं।

उत्तर : सही।

(ख) नरेंद्र शर्मा की कविताओं में भक्ति एवं वैराग्य के स्वर प्रमुख हैं।

उत्तर :  गलत।

(ग) पंडित नरेंद्र शर्मा की गीति-प्रतिभा के दर्शन छोटी अवस्था में ही होने लगे थे।

उत्तर : सही।

(घ) 'कायर मत बन' शीर्षक कविता में कवि ने प्रतिहिंसा से दूर रहने का उपदेश दिया है।

उत्तर : गलत।

(ङ) कवि ने माना है कि प्रतिहिंसा व्यक्ति की कमजोरी को दर्शाती है।

उत्तर :  सही।

2. पूर्ण वाक्य में उत्तरदोः
(क) कवि नरेंद्र शर्मा का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर : कवि नरेन्द्र शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर जिलांतर्गत जहाँगीर नामक स्थान में हुआ था।

(ख) कवि नरेंद्र शर्मा आकाशवाणी के किस कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए थे?

उत्तर : कवि नरेन्द्र शमी आकाशवाणी के विविध भारती कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए थे।

(ग) 'द्रौपदी' खंड काव्य के रचयिता कौन हैं?

उत्तर : द्रौपदी खंड काव्य के रचयिता नरेंद्र शमी जी है।

(घ) कवि ने किसे ठोकर मारने की बात कही है?

उत्तर : कवि ने माथा ठोकर मारने की बात कही है।

(ङ) मानवता ने मनुष्य को किस प्रकार सींचा है?

उत्तर : मानवता ने मनुष्य की खुन-पसीने से सींचती है।

(च) व्यक्ति को किसके समक्ष आत्म-समर्पण नहीं करना चाहिए?

उत्तर : व्यक्ति को दुष्ट के समक्ष आत्म समर्पण नहीं करनी चाहिएँ।

3. अति संक्षिप्त उत्तरदो (लगभग 25 शब्दों में):
(क) कवि नरेंद्र शर्मा के गीतों एवं कविताओं की विषयगत विविधता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : कवि नरेंद्र शर्मा के गीतों एंव कविताओं में व्यक्तिगत प्रणयानुभूति, विश्व-मिलन के चित्र, सुख-दुःख के भाव, प्रकृति-सौन्दर्य, आध्यात्मिकता, रहस्यानुभूति, राष्ट्रीय-भावना और सामाजिक विषमता का चित्रण आदि
विषयगत विविधता सहज ही देखी जा सकती है। साथ ही सामाजिक यथार्थ के चित्रण के कारण प्रगतिशीलता के भी दर्शन होते हैं।

(ख) नरेंद्र शर्मा जी की काव्य-भाषा पर टिप्पणी प्रस्तुत करो।

उत्तर : नरेंद्र शर्माजी की काव्य भाषा सरल प्रांजल एंव सांगीतिक लय युक्त खड़ी वोली है। आपने सहज प्रवाह मयी भाषा के जरिए कोमल और कठोर दोनों प्रकार के भावों को वखूवी अभिव्यक्ति दी है। आत्मीयता, चित्रात्मकता और सहज आलंकारिकता आपकी काव्य भाषा के तीन निराले गुण है।

(ग) कवि ने कैसे जीवन को जीवन नहीं माना है?

उत्तर : कवि नरेंद्र शमी ने कायर व्यक्ति का जीवन जो समझौता करके आ रहा है, मन के दुःख को मन में ही दवाकर जी रहा है, वैसा जीवन को कवि जी ने जीवन नही माना है।

(घ) कवि ने कायरता को प्रतिहिंसा से अधिक अपवित्र क्यों कहा है?

उत्तर :  कवि ने कायरता को प्रतिहिंसा से अधिक अपवित्र इसलिए कहा कि हिंसा के बदले में की जानेवाली हिंसा मनुष्य की कमजोरी को दर्शाती है।

(ङ) कवि की दृष्टि में जीवन के सत्य का सही माप क्या है?

उत्तर : कवि की दृष्टि में जीवन के सत्य का सहीमाप व्यक्ति के आत्म बलिदान है। सत्य तो यह है कि व्यक्ति के आत्म-बलिदान से मानवता अमर बनती है।

4. संक्षेप में उत्तरदो (लगभग 50 शब्दों में):
(क) 'कायर मत बन' शीर्षक कविता का संदेश क्या है?

उत्तर :  कायर मत बन शीर्षक कविता का संदेश यह है कि कवि ने मनुष्य से मात्र यह आग्रह किया है कि वह और कुछ भी बन, पर कायर कभी मत बने। मार्ग पर आने वाली बाधाओ से वह साहस और ढढ़ता के साथ लड़े कभी भी उनसे समझौता न करे, निराश होकर माथा न पटके, रोए-गिरगिराए नही कभी दुःख की आँसू न पीए । अपना सब कुछ मानवता पर न्योछावर कर दे।

(ख) 'कुछ न करेगा? किया करेगा-रेमनुष्य-बस कातर क्रंदन'- का आशय स्पष्ट करो।

उत्तर : कुछ न करेगा? किया करेगा रे मनुष्य बस कातर क्रंदन का आशय यह है युगों से संचित मानवता व्यक्ति को खून-पसीने से सीचती हैं, इसलिए कवि कातर क्रंदन से मनुष्य से कुछ नीडर बनकर करने को कहा।

(ग) 'या तो जीत प्रीति के बल पर, या तेरा पथ चूमे तस्कर'-का तात्पर्य बताओ।

उत्तर : या तो जीत प्रीति के बल पर, या तेरा पथ चूमे तस्कर का तात्पर्य यह है कि अगर कोई दुष्ट ओर नीच व्यक्ति सामने आ जाए तो मनुष्य उसे प्यार के बल पर जीत ले।

(घ) कवि ने प्रतिहिंसा को व्यक्ति की दुर्बलता क्यों कहा है?

उत्तर :   कवि ने प्रतिहिंसा को व्यक्ति की दुर्वलता इसलिए कहा है कि हिंसा के बदले में की जाने वाली हिंसा मनुष्य की कमजोरी को दर्शता है, परन्तु कायरता उससे अधिक अपवित्र है। इसलिए किसी भी स्थिति में अंहिसा की दुहाई देते हुए चुनौती से न भागे और प्यार के बल पर उसे जीत ले। बुरा कार्य करनेवाला तभी तुम्हारा पथ चुमेगा।

5. सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में):
(क) सज्जन और दुर्जन के प्रति मनुष्य के व्यवहार कैसे होने चाहिए? पठित 'कायर मत बन' कविता के आधार पर उत्तर दो।

उत्तर : प्रस्तुत कविता कायर मत बन में रवि शमी जी ने सज्जन और दुर्जन मनुष्य के प्रति व्यवहार का प्रसंग खड़ा किया है। कवि का कहना है कि सज्जन मनुष्य के पुरुषार्थ, साहस और दृढ़ता को बनाए रखने में उत्साहित करना
चाहिए। उनको गम के आँसु पीने के बजाय मानवता सीचना चाहिए। दुसरी ओर कोई दुष्ट व्यक्ति सामने आजाए, तो मनुष्य को चाहिए कि प्यार के बल पर उसे जीत ले, नही तो उसकी हिंसा का जवाव प्रतिहिंसा से दे।

(ख) 'कायर मत बन' कविता का सारांश लिखो।

उत्तर : कवि नरेंद्र शर्मा की दृष्टि मूलत: मानवतावादी रही है। मानवता का जयगान उनकी साहित्य-साधना का लक्ष्य रहा है, इसलिए उनकी रचनाओं से पुरुषार्थ, साहस एवं अडिग-अविचल भाव का संदेश मिलता है। संकलित 'कायर मत बन' शीर्षक कविता शर्मा की उत्कृष्ट रचनाओं में से अन्यतम है। इस प्रसिद्ध कविता में कवि ने मनुष्य मात्र से यह आग्रह किया है कि वह और कुछ भी बने, पर कायर कभी मत बने। मनुष्य को चाहिए कि उसके मार्ग पर आनेवाली बाधाओं से वह साहस और दृढ़ता के साथ लड़े, कभी भी उनसे समझौता न करे, निराश होकर माथा न पटके, रोएगिड़गिड़ाए नहीं, कभी दु:ख के आँसू न पीए। 'युद्धं देहि' (लड़ाई करो) कहकर अगर कोई दुष्ट और नीच व्यक्ति सामने आ जाए, तो मनुष्य को चाहिए कि या तो प्यार के बल पर उसे जीत ले, नहीं तो उसकी हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से दे। किसी भी स्थिति में अहिंसा की दुहाई देते हुए पीठ फेर कर वह न भागे। कवि ने माना है कि हिंसा के बदले में की जाने वाली हिंसा मनुष्य की कमजोरी को दर्शाती है, परन्तु कायरता उससे अधिक अपवित्र है। कवि ने कहा है कि मानवता अमूल्य है, उसकी रक्षा के सामने व्यक्ति की सुरक्षा का कोई मूल नहीं है। सत्य तो यह है कि व्यक्ति के आत्म-बलिदान से मानवता अमर बनती है। युगों से संचित मानवता व्यक्ति को खून-पसीने से सींचती है। अतः मनुष्य के लिए उचित यही है कि वह कभी कायर न बने और अपना सब कुछ
मानवता पर न्योछावर कर दे।

(ग) कवि नरेंद्र शर्मा का साहित्यिक परिचय दो।

उत्तर :  कवि नरेंद्र शर्मा का साहित्यिक परिचय :पंडित नरेंद्र शर्मा की गीति प्रतिभा के दर्शन छोटी अबस्था में ही
होने लगे। उनके दो गीत संग्रह विद्यार्थी जीवन में ही प्रकाशित हुए। जीवन के अंतिम दिनों तक आपकी लेखनी चलती रही। आपकी काव्य कृतियों में प्रभाव फेरी, प्रवासी के गीत, पलाशवन, मिट्टी के फुल, हंसमाला, रक्त चंदन, कदली वन, द्रौपदी (खण्डकाव्य), उत्तर जय (खण्डकाव्य) और सुवर्ण खण्डकाव्य विशेष रुप से उल्लेखनीय हैं। कड़वी मीठी बातें इनका कहानी संग्रह है। उनकी काव्य भाषा सरल,प्रांजल एवं सांगीतिक लय-युक्त खड़ीबोली है। आपने सहज प्रवाहमयी भाषा के जरिए कोमल औरकठोर दोनों ही प्रकारके भावों को बखूबी अधिव्यत्कि दी है। माधुर्य एंव प्रासद गुणों को बहुलता के साथ आपकी रचनाओं में कहीं कहीं ओज गुण का भी संचार हुआ है। आत्मीयता, चित्रात्मकता और सहज आलंकारिकता आपकी काव्य भाषा के तीन निराले गुण हैं।

6. प्रसंग सहित व्याख्या करो:
(क) "ले-दे कर जीना..... युगों तक खून-पसीना।"

उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाथ्यपुस्तक 'आलोक' के अंतर्गत कवि नरेन्द्र शमी द्वारा रचित कायर मत बन शीर्षक कविता से लिया गया है। यहाँ कवि शर्मा जी कायर व्यक्ति के सौन्दर्य में कहा है।
      कवि जी कायर मनुष्य को उद्देश्य करके कहा कि समझौता करके जीना क्या कोई जीव है? कब तक गम के आँसू पीयोगी? कवि का कहना समझौता करके जीना जीवन जीवन नही है। क्योंकि मन के दुःख को मन
में ही दवाकर खून-पसीना बहाना पड़ेगा। यानी काफी कष्ट उठाना पड़ता है। इसलिए कवि मनुष्य से आहवान किया कि जो कुछ बनना है बनो, लेकिन कायर मत बन।
 प्रस्तुत पद्यांश में कवि शमी अपनी मन के भावों की प्रकाश करने के लिए ज्यादातर मुहावरों का सहारा लिया है।

(ख) “युद्धं देहि' कहे जब....तेरा पथ चूमे तस्कर।"

उत्तर :  प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाथ्यपुस्तक 'आलोक' के अंतर्गत कवि नरेन्द्र शमी द्वारा रचित कायर मत बन शीर्षक कविता से लिया गया है। यहाँ कवि कायर व्यक्ति तथा बुरा कार्य करनेवाला व्यक्ति के बारे में प्रकाश किया है।
    प्रस्तुत पद्यांश के माध्यम से कवि कहा है कि युद्ध देहि (लड़ाई तो करो) कहकर अगर कोई दुष्ट और नीच व्यक्ति सामने आ जाए, मनुष्य को चाहिए कि या तो प्यार के बल पर उसे जीत ले, नही तो उसको हिंसा का जवाब
प्रतिहिंसा से दे। किसी भी स्थिति में अहिंसा की दुहाई देते हुए पीठ फेरकर वहन भागे। नीडरहोकर कुछ करे।तभी बुरा कार्य करने वाला व्यक्ति तुम्हारा पथ चुयेगा।



*भाषा एवं व्याकरण-ज्ञान

1.खाली जगहों में'न', 'नहीं' अथवा 'मत' का प्रयोग करके वाक्यों को
फिरसे लिखो:
(क) तू कभी भी कायर.......बना

उत्तर : तु कभी भी कायर मत बन।

(ख) तुम कभी भी कायर.....बनो।

उत्तर :  तुम कभी भी कायर न बनी।

(ग) आप कभी भी कायर बनें।

उत्तर : आप कभी भी कायर न बनें।

(घ) हमें कभी भी कायर बनना .... चाहिए।

उत्तर : हमें कभी भी कायर बनना नहीं चाहिए।  

2.अर्थ लिखकर निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में प्रयोग करो :
ले-दे कर जीना, गम के आँसू पीना, खून-पसीना बहाना, पीठ फेरना, टस
से मस न होना, कालिख लगना, कमर कसना, आँचल में बाँधना

उत्तर :
(क) ले-दे कर जीना : (समझौता करके जीना)
प्रयोग:
:- अगर समाज में रहना है तो सभी लोग ले-दे कर जीना है।
(ख) गम के आतूं पीनाः (मन के दुःख की मन में ही दबाकर रह जाना)
प्रयोग :- जो होना था सो हो गया अब गम के आसूं पीओ।
(ग) खून-पसीना बहाना : (बहुत कष्ट उठाना)
प्रयोग :- किसान खून-पसीना बहाकर फसल ऊगाटे।
(घ) पीठ फेरना : (चुनौ तो से भागना)
प्रयोग :- कार्गिल युद्ध क्षेत्र से पीठ फेरते पाकिस्तानी सेना वापस चला
गया।
(ङ) टस से मस न होना : (उडिग-अविचलित रहना)
प्रयोग :- जयमती की कढ़ी से कढ़ी सजा दी थी, लेकिन वह टस से मस
न हुयी।
(च) कालिख लगाना : (कलंक लगना, बदनामी होना)
प्रयोग
:- अगर बुढ़ाये में कालिख लगे तो सारी जिन्दगी की नेकनामी
मिटी में मिल जाते हैं।
(छ) कमर कसना : (किसी काम के लिए पूरी तरह तैयार होना।)
प्रयोग :- भारतीय सेना ने लड़ाई के लिए कमर कस लिए।
(ज) आँचल में बाँधना (किसी बात को अच्छी तरह से याद रखना)
प्रयोग :- बच्यों आज मैंने तुम्हें जो शीखाया उसे आँचल में बाँध रखना।


3.निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखो:
(क) सभा में अनेकों लोग एकत्र हुए हैं।
उत्तरः सभा में अनेक लोग एकत्र हुए हैं।
(ख) मुझे दो सौ रुपए चाहिए।
उत्तरः मुझ को दो सौ रुपए चाहिए।
(ग) बच्चे छत में खेल रहे हैं।
उत्तरः बच्चे छत पर खेल रहे हैं।
(घ) मैंने यह घड़ी सात सौ रुपए से ली है।
उत्तरः मैंने यह घड़ी सात सौ रुपए से ली।
(ङ) मेरे को घर जाना है।
उत्तरः मुझे घर जाना है।
(च) बच्चे को काटकर गाजर खिलाओ।
उत्तरः बच्चे को गाजर काटकर खिलाओ।
छ) उसने पूस्तक पढ़ चुका।
उत्तरः उसने पूस्तक पढ़ चुकी।
(ज) जब भी आप आओ, मुझ से मिलो।
उत्तरः जब भी आप आए, मुझ से मिले।
(झ) हम रातको देर से भोजन खाते हैं।
उत्तरः हम रात देर से भोजन खाते हैं।
(ज) बाध और बकरी एक हीघाट पानी पीती है।
उत्तरः बाध और बकरी एक ही घाट में पानी पीती हैं।

4.निम्नलिखित शब्दों से प्रत्ययों को अलग करो:
आधुनिक, विषमता, भलाई, लड़कपन, बुढ़ापा, मालिन, गरीबी

उत्तर : आधुनिक = अधुना+इक
विषमता = विषम + आई 
भलाई = भला+आई
लड़कपन = लड़का+पन
बुढ़ापा = बुढ़ा+पा
मालिन = मालि  + इन
गरीबी = गरीब+ई 

5.कोष्ठक में दिए गए निर्देशानुसार वाक्यों को परिवर्तित करो:
(क) मैंने एक दुबला-पतला आदमी देखा था।
(मिश्र वाक्य बनाओ)

उत्तर : मैंने एक आदमी देखा, जो दुबला-पतला था।

(ख) जो विद्यार्थी मेहनत करता है वह अवश्य सफल होता है।
(सरल वाक्य बनाओ)

उत्तर : विद्यार्थी मेहनत करनेपर सफल होता है।

(ग) किसान को अपने परिश्रम का लाभ नहीं मिलता।
(संयुक्त वाक्य बनाओ)

उत्तर : जो किसान है, वह परिश्रम का लाभ नहीं मिलता।

(घ) लड़का बाजार जाएगा। (निषेधवाचक वाक्य बनाओ)

उत्तर : लड़का बाजार नही जाएगा।

(ङ) लड़की गाना गाएगी। (प्रश्नवाचक वाक्य बनाओ)

उत्तर : क्या लड़की गाना गाएगी?




Post a Comment

0Comments

Please don't use spam link in the comment box.

Post a Comment (0)