प्रथम अध्याय
भाषा और व्याकरण का महत्व
भाषा
गोपाल और मोहम्मद एक दूसरे को प्यार करते हैं।
वे आपस में परम मित्र हैं।
वे दोनों प्रेम से बात कर रहे हैं।
गोपाल : मोहम्मद, तुमने काजीरंगा देखा है।
मोहम्मद : हाँ गोपाल, मैंने काजीरंगा देखा है।
गोपाल : काजीरंगा में तुमने क्या-क्या देखा?
मोहम्मद : वहाँ का उद्यान देखा। उद्यान में सुंदर फूल, पौधों के वृक्ष हैं। वहाँ अनेक प्रकार के पशु भी हैं।
गोपाल : भैया! मुझे भी एक बार काजीरंगा ले चलना।
ऊपर, गोपाल और मोहम्मद अपनी बात एक दूसरे से कह रहे हैं। इसी प्रकार भाव प्रकट करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को भाषा की आवश्यकता होती है, क्योंकि वह समाज में रहता है। यदि भाषा न होती तो हम सब गूंगे होते। भाव के अनेक प्रकार होते हैं। जैसे-उच्चरित, लिखित, सांकेतिक।
1. उच्चरित भाषा : मुख से बोलकर अपने विचार प्रकट करने की भाषा ही उच्चरित भाषा है। जैसे - ऊपर गोपाल और मोहम्मद अपने विचार प्रकट कर रहे हैं।
2. लिखित भाषा : जब हम अपने विचारों को लिख कर प्रकट करते हैं तो उसे हम लिखित भाषा कहते हैं। जैसे- पत्र या चिट्ठी द्वारा।
3. सांकेतिक भाषा: जब हम संकेतों के द्वारा अपने विचार प्रकट करते हैं, तो उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं। जैसे- हाथ हिला कर बुलाना, उँगली दिखा कर डाँटना, रेलगाड़ी रोकने या छोड़ने के समय हरी या लाल झंडी दिखाना। इन सभी कार्यों में हमारे दैनिक जीवन के लिए उच्चरित व लिखित भाषा का वशेष महत्व है। व्यावहारिक जीवन में उच्चरित तथा लिखित भाषा को ही भाषा के रूप में स्वीकार किया जाता है।
भाषा और व्याकरण का महत्व |
व्याकरण
सीता घर जाता है।
सीता घर जाती है।
रमेश गुवाहाटी पर रहा है। रमेश गुवाहाटी में रहता है।
असम प्रदेश भारत की राज्य है। असम प्रदेश भारत का राज्य है।
ऊपर के बायीं ओर की वाक्य शुद्ध नहीं है। पर दायीं ओर के तीनों वाक्य शुद्ध हैं। भाषा की शुद्धता और अशुद्धता का ज्ञान हमें व्याकरण से होता है। व्याकरण एक ऐसी विद्या है, जिसके द्वारा हम भाषा को उसके शुद्ध रूप में लिख व बोल सकते हैं।
हिंदी व्याकरण
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। उसको अच्छी तरह से सीखना हमारा कर्तव्य है। हिंदी व्याकरण राष्ट्रभाषा को सीखने में हमारी सहायता करता है। प्रत्येक भाषा को अपनी अलग विशेषताएँ होती हैं - जो दूसरी भाषा के साथ मेल नहीं रखती। हिंदी की भी अपनी विशेषताएँ हैं। इन विशेषताओं को हम हिंदी व्याकरण की सहायता से अच्छी तरह जान सकते हैं। भाषा, वर्ण, शब्द और वारूप के मेल से बनती हैं। व्याकरण भाषा के इन तीन विभागों की हमें जानकारी देता है। ये तीन विभाग इस प्रकार हैं
1. वर्ण विचार : इनमें वर्णों के रूप, भेद तथा उच्चारण पर विचार किया जाता है।
2. शब्द विचार : इसमें शब्दों के भेद, रूपांतर, उत्पत्ति आदि पर विचार किया जाता है।
3 वाक्य विचार : इसमें वाक्यों के भेद, उनके अंगों का पारस्परिक संबंध आदि पर विचार किया जाता है।
अभ्यास
1.मनुष्य किन-किन साधनों द्वारा विचार प्रकट करते हैं ?
उत्तर : 1. उच्चरित भाषा : मुख से बोलकर अपने विचार प्रकट करने की भाषा ही उच्चरित भाषा है। जैसे - ऊपर गोपाल और मोहम्मद अपने विचार प्रकट कर रहे हैं।
उत्तर : 1. उच्चरित भाषा : मुख से बोलकर अपने विचार प्रकट करने की भाषा ही उच्चरित भाषा है। जैसे - ऊपर गोपाल और मोहम्मद अपने विचार प्रकट कर रहे हैं।
2. लिखित भाषा : जब हम अपने विचारों को लिख कर प्रकट करते हैं तो उसे हम लिखित भाषा कहते हैं। जैसे- पत्र या चिट्ठी द्वारा।
3. सांकेतिक भाषा: जब हम संकेतों के द्वारा अपने विचार प्रकट करते हैं, तो उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं। जैसे- हाथ हिला कर बुलाना, उँगली दिखा कर डाँटना, रेलगाड़ी रोकने या छोड़ने के समय हरी या लाल झंडी दिखाना। इन सभी कार्यों में हमारे दैनिक जीवन के लिए उच्चरित व लिखित भाषा का वशेष महत्व है। व्यावहारिक जीवन में उच्चरित तथा लिखित भाषा को ही भाषा के रूप में स्वीकार किया जाता है।
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति सही शब्दों से करो
(अ) विचारों को प्रकट करने के लिये मनुष्य को ______ की आवश्यकता होती है। (धन, शक्ति, भाषा, ज्ञान)
(आ) यदि भाषा न होती तो हम ____ होते। (बलवान्, बुद्धिमान, गूंगे, बहरे)
(इ) हम दैनिक जीवन में अधिकतर _____ भाषा का प्रयोग करते हैं। (सांकेतिक, लिखित, उच्चरित)
(ई) व्याकरण से हमें _____ भाषा का ज्ञान होता है। (अशुद्ध, गलत, बिगड़ी हुई, शुद्ध)
(उ) हिंदी हमारी _____ भाषा है। (प्रांतीय, ग्रामीण, विदेशी, राष्ट्र)
उत्तर :
(अ) विचारों को प्रकट करने के लिये मनुष्य को भाषा की आवश्यकता होती है।
(आ) यदि भाषा न होती तो हम गूंगे होते।
(इ) हम दैनिक जीवन में अधिकतर उच्चरित तथा लिखित भाषा का प्रयोग करते हैं।
(ई) व्याकरण से हमें शुद्ध और अशुद्ध भाषा का ज्ञान होता है।
(उ) हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है।
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